प्रमुख भारतीय संविधान के संशोधन
प्रमुख संविधान संशोधन (Important Amendments to the Indian Constitution)
संविधान संशोधन अधिनियम | प्रावधान |
पहला (1951) | मौलिक अधिकारों में समानता, स्वतन्त्रता तथा सम्पत्ति के अधिकार को सीमित किया गया। |
दूसरा (1952) | संसद में राज्यों के प्रतिनिधत्व को निर्धारित किया गया। |
सातवाँ (1956) |
राज्यों का पुनर्गठन-14 राज्य तथा 6 केन्द्रशासित प्रदेश, लोकसभा एवं राज्यसभा में सीटों का पुनर्वितरण, संघ राज्यक्षेत्र का प्रावधान
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26वाँ (1971) | राजाओं के प्रिवीपर्स तथा विशेषाधिकार को समाप्त किया गया। |
31वाँ (1973) | लोकसभा की सदस्य संख्या 525 से बढ़ाकर 545 की दी गई। |
36वाँ (1975) | सिक्किम को पूर्ण राज्य का दर्जा दिया गया और उसे संविधान की प्रथम अनुसूची में शामिल किया गया। |
39वाँ (1975) | राष्ट्रपति, उप-राष्ट्रपति, लोकसभा अध्यक्ष और प्रधानमंत्री के निर्वाचन को चुनौती नहीं दी जा सकती। |
42वाँ (1976) | इसे लघु संविधान भी कहते हैं। प्रस्तावना में 'सम्पूर्ण प्रभुत्वसम्पन्न, लोकतन्त्रात्मक गणराज्य' के साथ पन्थनिरपेक्ष, समाजवादी तथा राष्ट्र की एकता के साथ अखण्डता शब्द जोड़ा गया। |
राज्य के नीति-निदेशक तत्वों का विस्तार किया गया, साथ ही इसमें मौलिक अधिकारों पर नीति-निदेशक तत्वों की प्राथमिकता स्थापित की गई। | |
संविधान संशोधनों को न्यायालय में चुनौती नहीं दी जा सकती। | |
मौलिक कर्तव्यों का समावेश किया गया। | |
राष्ट्रपति मन्त्रिमण्डल की सलाह मानने के लिए बाध्य है। | |
आपातकालीन स्थिति में राष्ट्रपति पूरे देश के साथ-साथ देश के किसी एक भाग में भी अनुच्छेद-352 के तहत आपात की घोषणा कर सकेगा। | |
राज्यों में आपातकालीन घोषणा 6 माह से 1 वर्ष की गई। | |
समवर्ती सूची में जोड़े गए-वन, वन्यजीवों की सुरक्षा, न्यायिक प्रशासन, शिक्षा, नाप तथा तौल। | |
44वाँ (1978) | सम्पत्ति के मौलिक अधिकार को हटाकर उसे विधिक अधिकार बना दिया गया। |
राष्ट्रपति को मन्त्रिमण्डल को सलाह की पुनर्विचार के लिए एक बार लौटाने के बाद दोबारा उसे मानना बाध्यकारी किया गया। | |
राष्ट्रीय आपात के सन्दर्भ में 'आन्तरिक अशान्ति' शब्द के स्थान पर 'सशस्त्र विद्रोह' शब्द रखा गया। | |
अनुच्छेद-20 और अनुच्छेद-21 द्वारा प्रदत्त मौलिक अधिकारों को राष्ट्रीय आपातकाल में निलम्बित नहीं किया जा सकता। | |
जीवन एवं व्यक्तिगत स्वतन्त्रता तथा प्रेस की स्वतन्त्रता को सुनिश्चित किया गया। | |
'सशस्त्र विद्रोह' की स्थिति में आपात घोषणा मन्त्रिमण्डल की लिखित सलाह पर की जाएगी। | |
45वाँ (1980) | अनुसूचित जाति/जनजाति एवं एंग्लो-इण्डियन समुदाय के लिए व्यवस्थापिकाओं में सीटों का आरक्षण 10 वर्ष के लिए बढ़ा दिया गया। |
52वाँ (1985) | इसे दल-बदल विरोधी विधि के रूप में जाना जाता है |
दल-बदल पर रोक लगाई गई तथा इस सम्बन्ध में संविधान में दसवीं अनुसूची बनाई गई। | |
58वाँ (1987) | भारतीय संविधान का हिन्दी में प्राधिकृत पाठ का प्रावधान किया गया। |
61वाँ (1989) | लोकसभा तथा विधानसभा चुनावों में मतदाताओं की आयु 21 वर्ष से घटाकर 18 वर्ष की गई है। |
65वाँ (1990) | अनुसूचित जाति और जनजाति के राष्ट्रीय आयोग में विशेष अधिकारी के स्थान पर बहुसदस्यीय व्यवस्था का उपबन्ध। |
69वाँ (1991) | केन्द्रशासित प्रदेश दिल्ली का नाम राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र किया गया। |
दिल्ली में 70 सदस्यों वाली विधानसभा बनाई जाएगी। | |
70वाँ (1992) | दिल्ली विधानसभा तथा पाण्डिचेरी (पुदुचेरी) विधानसभा को राष्ट्रपति के निर्वाचन में भाग लेने का अधिकार प्रदान किया गया। |
73वाँ (1992) | पंचायती राज को संवैधानिक दर्जा दिया गया, संविधान में ग्यारहवाँ में ग्यारहवीं सूची जोड़ी गई। |
74वाँ (1992) | नागरपालिका व्यवस्था को संवैधानिक दर्जा दिया गया, संविधान में बारहवीं सूची जोड़ी गई। |
84वाँ (2001) | 1991 की जनगणना के आधार पर राज्यों में लोकसभा एवं विधानसभा सीटों की संख्या में परिवर्तन किए बगैर निर्वाचन क्षेत्रों का पुनर्गठन। |
85वाँ (2002) | सरकारी सेवाओं में अनुसूचित जाति/जनजाति के उममीदवारों के लिए पदोन्नति में आरक्षण की व्यवस्था। |
86वाँ (2002) | संविधान में अनुच्छेद-21(A), 45 तथा 51(A) को जोड़ा गया। |
राज्य द्वारा 6 से 14 वर्ष तक के सभी बच्चों को नि:शुल्क तथा अनिर्वाय शिक्षा का प्रावधान किया गया। | |
87वाँ (2003) | परिसीमन में जनसंख्या का आधार 1991 की जनगणना के स्थान पर 2001 कर दिया गया। |
88वाँ (2003) | सेवाओं पर कर का प्रावधान किया गया। |
89वाँ (2003) | राष्ट्रीय अनुसूचित जाति एंव जनजाति आयोग का दो भागों राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग (अनुच्छेद-338) तथा अनुसूचित जाति आयोग (अनुच्छेद-338 क) में विभाजन। |
91वाँ (2003) | मन्त्रिपरिषद का आकार निश्चित किया गया। केन्द्र व राज्य दोनों में प्रधानमन्त्री व मुख्यमन्त्री समेत 15%, परन्तु राज्यों में मुख्यमन्त्री समेत न्यूनतम 12 मन्त्री होने चाहिए। |
94वाँ (2006) | अनुसूचित जनजातियों के कल्याण के लिए एक मन्त्री का प्रावधान, मध्य प्रदेश एवं ओडिशा के साथ-साथ छत्तीसगढ़ एवं झारखण्ड में भी |
95वाँ (2010) | अनुसूचित जाति/ जनजाति के लिए आरक्षण की अवधि लोकसभा/राज्य की विधानसभा के लिए 60 वर्ष से बढ़ाकर 70 वर्ष (10 वर्ष के लिए) |
98वाँ (2013)
| हैदराबाद-कर्नाटक क्षेत्र को विकसित करने हेतु कर्नाटक के राज्यपाल को सशक्त करने के लिए |
99वाँ (2014) | सर्वोच्च न्यायालय और उच्च-न्यायालयों में जजों की नियुक्ति एवं स्थानान्तरण के लिए 'राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग' (वर्तमान के कॉलेजियम सिस्टम के स्थान पर) की स्थापना हेतु |
100वाँ (2015) | भारत-बांग्लादेश के मध्य भूमि सीमा समझौते से सम्बन्धित |